Sunday, January 13, 2008

ग्यान और घमंड

बचपन मे मैंने एक कहानी सुनी थी. आज्भी जब उस कहानी को याद करता ह टू अनायास ही हसी आ जाती है तथा दूसरे ही पल मन सोचने को मजबूर हो जाता है.सोचने को इस लिए मजबूर हो जाता है क्योंकि घमंड आदमी को नाकामयाब और अशिष्ट बना देती है.वो कहानी यू थी ...........
एक पढ़ा-लिखा दंभी व्यक्ति नाव में सवार हुआ। वह घमंड से भरकर नाविक से पूछने लगा, ‘‘क्या तुमने व्याकरण पढ़ा है, नाविक?’’

नाविक बोला, ‘‘नहीं।’’

दंभी व्यक्ति ने कहा, ‘‘अफसोस है कि तुमने अपनी १/४ उम्र यों ही गँवा दी!’’

थोड़ी देर में उसने फिर नाविक से पूछा, “तुमने इतिहास व भूगोल पढ़ा?”

नाविक ने फिर सिर हिलाते हुए ‘नहीं’ कहा।

दंभी ने कहा, “फिर तो तुम्हारा १/२ जीवन बेकार गया।“

मांझी को बड़ा क्रोध आया। लेकिन उस समय वह कुछ नहीं बोला। दैवयोग से वायु के प्रचंड झोंकों ने नाव को भंवर में डाल दिया।

नाविक ने ऊंचे स्वर में उस व्यक्ति से पूछा, ‘‘महाराज, आपको तैरना भी आता है कि नहीं?’’

सवारी ने कहा, ‘‘नहीं, मुझे तैरना नही आता।’’
मांझी ने तुरंत उत्तर दीया " महाराज फिर टू आपका पुरा जीवन बेकार गया . नाव डूब जायेगी और आप मार जाओगे."
उस इंसान की जान बची या नही ये टू मैं नही जनता , पर मांझी बच गया .
पता नही क्यों मुझे ये कहानी भूले नही भूलती.घमंड आदमी का सर्वनास कर देता है .

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