Saturday, January 5, 2008

कुछ यादों में कुछ ख्वाबो में

कुछ यादों में कुछ ख्वाबो में
कुछ गुज़रे उम्र अजाबों में
कुछ सहरो में वक्त कटा कुछ बीता वक्त गुलाबों में
कुछ आस रही कुछ प्यास रही कुछ बहती आँख सराबों में
कुछ आयी पल बेकार किया कुछ पाई दर्द अताबों में।
कुच्छ इश्क अना में डूब गया कुच्छ किस्मत के गर्दाबों में
कुछ दिल भी थक कर बैठ गया कुछ हम भी पड़े ख्यालों में।

ग़ज़ल

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