साथियो सब से पहले जय राम जी कि ........
आज मई एक ऐसे विषय पर अपना कुछ अनुभव बाँटना चाहता हूँ , जिसपर बात करने से मई कही भी और कभी भी हिच्किताता नही । मैं अपने जन्मभूमि से बहुत प्यार कर्ता हूँ । मैं उसकी सही दिल से पूजा कर्ता हूँ। याद आते ही आंखो मे आंसू आ जाते है । जब कोई उसकी बुराई कर्ता है तो तो बस ग़ुस्सा सातवे असमान पे चढ़ जाता है ।
अब तक तो आप लोग मेरे जज्बतो को समझ ही चुके होंगे । जी हाँ , मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ । इससे पहले आप लोग कुछ उल्टा सीधा सोचे ,मैं आप को बता दूँ कि कुछ बुरे लोगो को देखकर ही किसी राज्य के स्तर को नही आंकना चाहिऐ । ऐसे ही एक हरियाणा के व्यक्ति से मेरी बहस हो गई । दरअसल उस व्यक्ति ने मेरे ही सामने मेरे माँ (जन्मभूमि ) को भला बुरा कह दिया । मैंने भी न आव देखा न ताव उसका जवाब देना सुरु कर दिया । वो आम कहता तो मै इमली से उसका जवाब देता । बात बढते बढते इतनी बढ़ गई कि आस पास आठ दस लोग इक्ट्ठे हो गए । अंत मे उसने अपने कान पकड़ कर माफी मांगी । इस प्रकार मैंने अपने माँ को गाली देने वालो को मुह्तोड़ जवाब दिया । मैंने कोई बड़ी चीज उससे नही कि । बस सबसे पहले निडर होके जवाब देना चाहिऐ । सबसे अहम तो हमे अपने और साथ साथ और धर्म , जति , राज्य, देश के खिलाफ गलत धरना नही रखनी चाहिऐ । हमे तो सबसे प्यार से रहना चाहिऐ । दरअसल मानव मन कि चाल ही ऐसी होती है । जहाँ जिस तरह चाहें , हम उसे लगा सकते है । हम उसे अछे अथवा बुरे दृस्तिकोंद दिखा सकते हैं । किसी के घर के बारे मे बुरा कहने के पहले अपने घर को सुधारो । फिर जो बुरे हैं उन्हें सुधारो न कि उसके खिलाफ बयानबाजी करें । अपनी प्रवृत्ति मे सुधर लाएये । फिर देखिए दुनिया कितनी सुन्दर है ।
आज मई एक ऐसे विषय पर अपना कुछ अनुभव बाँटना चाहता हूँ , जिसपर बात करने से मई कही भी और कभी भी हिच्किताता नही । मैं अपने जन्मभूमि से बहुत प्यार कर्ता हूँ । मैं उसकी सही दिल से पूजा कर्ता हूँ। याद आते ही आंखो मे आंसू आ जाते है । जब कोई उसकी बुराई कर्ता है तो तो बस ग़ुस्सा सातवे असमान पे चढ़ जाता है ।
अब तक तो आप लोग मेरे जज्बतो को समझ ही चुके होंगे । जी हाँ , मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ । इससे पहले आप लोग कुछ उल्टा सीधा सोचे ,मैं आप को बता दूँ कि कुछ बुरे लोगो को देखकर ही किसी राज्य के स्तर को नही आंकना चाहिऐ । ऐसे ही एक हरियाणा के व्यक्ति से मेरी बहस हो गई । दरअसल उस व्यक्ति ने मेरे ही सामने मेरे माँ (जन्मभूमि ) को भला बुरा कह दिया । मैंने भी न आव देखा न ताव उसका जवाब देना सुरु कर दिया । वो आम कहता तो मै इमली से उसका जवाब देता । बात बढते बढते इतनी बढ़ गई कि आस पास आठ दस लोग इक्ट्ठे हो गए । अंत मे उसने अपने कान पकड़ कर माफी मांगी । इस प्रकार मैंने अपने माँ को गाली देने वालो को मुह्तोड़ जवाब दिया । मैंने कोई बड़ी चीज उससे नही कि । बस सबसे पहले निडर होके जवाब देना चाहिऐ । सबसे अहम तो हमे अपने और साथ साथ और धर्म , जति , राज्य, देश के खिलाफ गलत धरना नही रखनी चाहिऐ । हमे तो सबसे प्यार से रहना चाहिऐ । दरअसल मानव मन कि चाल ही ऐसी होती है । जहाँ जिस तरह चाहें , हम उसे लगा सकते है । हम उसे अछे अथवा बुरे दृस्तिकोंद दिखा सकते हैं । किसी के घर के बारे मे बुरा कहने के पहले अपने घर को सुधारो । फिर जो बुरे हैं उन्हें सुधारो न कि उसके खिलाफ बयानबाजी करें । अपनी प्रवृत्ति मे सुधर लाएये । फिर देखिए दुनिया कितनी सुन्दर है ।