अभी अभी तो प्यार का PC किया है चालु
अपने दिल के Hard Disk पे और कितनी Files डालु
अपने चेहरे से रूसवाई की Error तो हटाओ
ऐ जानेमन अपने दिल का Password तो बताओ
वो तो हम है जो आप की चाहत दिल मॆं रखते है
वरना आप जैसे कितने Softwares तो बाज़ार में बिकते है
रोज़ रात आप मेरे सपने में आते हो
मेरे प्यार को Mouse बना के उंगलियों पे नचाते हो
तेरे प्यार का Email मेरे दिल को लुभाता है
पर बीच में तेरे बाप का Virus आ जाता है
और करवाओगे हमसे कितना इन्तजार
हमारे दिल की साईट पे कभी Enter तो मारो यार
अपने इन्सल्ट का बदला देखो कैसे लुंगा
जानेमन तेरे बाप को Ctrl+Alt+Delete कर दुंगा
आपके कई नखरे अपने दिल पे बैंग हो गये
दो PC जुड़ते जुड़ते Hang हो गये
आप जैसो के लिये दिल को Cut किया करते है
वरना बाकी केसेस में तो Copy Paste किया करते हैं
आपक हँसना आप क चलना आप की वो स्टाईल
आपकी अदाओं की हमने Save कर ली है File
जो सदीयों से होता आया है वो रीपीट कर दुंगा
तु ना मिली तो तुझे Ctrl+Alt+Delete कर दुंगा
लड़कीयां सुन्दर हैं और लोनली हैं
प्रोब्लम है कि बस वो Read Only ह
Thursday, September 20, 2007
Tuesday, September 18, 2007
बचपन !!
बचपन !!
ये एक ऐसा समय है , जहाँ से हमारी दुनिया सुरू होती है ।
इस अवश्था का वो एहसास ,वो मौज -मस्ती हमारे यादों से शायद ही भूलाये ।
बचपन मे वो गलियों मे अपने नन्हे मून्हे दोस्तो के साथ खेलना,लोगों को तंग
करना ,खेलते- खेलते झगड़े केर लेना , घेर पर पिताजी से डांट खाना , माँ का
प्यार करना , भाई के साथ झगड़े , हाय !! कितना सुखद एहसास लगता है
ये अब । बचपन हर इन्सान कि ख्वाहीस रहती है । उम्र के ढलने के साथ -साथ
बचपन कि यादें भी ताजा हो जाती हैं । उस वक्त हर एक के दिल से कहीँ ना कहीँ
यही विचार उमड़ते हैं ...............
कुछ बातें मेरे बचपन कि ,
कुछ यादें मेरे बचपन कि ,
कुछ खुसियाँ थी ,कुछ गम भी थे ,
चंद लम्हे थे जो बीत गए ।
कुछ लोग भी हमसे बिछड़ गए ,
अब ना लौट के आएंगे ,बस !
कहीँ दूर हमे छोड़ गए ।
कास कोई लौटा दे मेरा वो प्यारा बचपन !!!!
ये एक ऐसा समय है , जहाँ से हमारी दुनिया सुरू होती है ।
इस अवश्था का वो एहसास ,वो मौज -मस्ती हमारे यादों से शायद ही भूलाये ।
बचपन मे वो गलियों मे अपने नन्हे मून्हे दोस्तो के साथ खेलना,लोगों को तंग
करना ,खेलते- खेलते झगड़े केर लेना , घेर पर पिताजी से डांट खाना , माँ का
प्यार करना , भाई के साथ झगड़े , हाय !! कितना सुखद एहसास लगता है
ये अब । बचपन हर इन्सान कि ख्वाहीस रहती है । उम्र के ढलने के साथ -साथ
बचपन कि यादें भी ताजा हो जाती हैं । उस वक्त हर एक के दिल से कहीँ ना कहीँ
यही विचार उमड़ते हैं ...............
कुछ बातें मेरे बचपन कि ,
कुछ यादें मेरे बचपन कि ,
कुछ खुसियाँ थी ,कुछ गम भी थे ,
चंद लम्हे थे जो बीत गए ।
कुछ लोग भी हमसे बिछड़ गए ,
अब ना लौट के आएंगे ,बस !
कहीँ दूर हमे छोड़ गए ।
कास कोई लौटा दे मेरा वो प्यारा बचपन !!!!
Thursday, September 6, 2007
पूजा रही अधूरी ।
हर पल जियें भरम में पूजा रही अधूरी ।
कुछ श्लोक पड़ लिए हम गीता रही अधूरी । ।
अमृत की कामना है विषपान सी तपस्या ।
पथ में रहे भटकते यात्रा रही अधूरी । ।
खंडित हुई तपस्या प्रतिफल न मिल सका ।
पूजा कि हर विधा में आस्था बची अधूरी । ।
संवाद के छनो मे उपयुक्त सब्द भूले ।
अन्भिग्य रह गया हूँ भाषा रही अधूरी । ।
कुछ श्लोक पड़ लिए हम गीता रही अधूरी । ।
अमृत की कामना है विषपान सी तपस्या ।
पथ में रहे भटकते यात्रा रही अधूरी । ।
खंडित हुई तपस्या प्रतिफल न मिल सका ।
पूजा कि हर विधा में आस्था बची अधूरी । ।
संवाद के छनो मे उपयुक्त सब्द भूले ।
अन्भिग्य रह गया हूँ भाषा रही अधूरी । ।
Monday, September 3, 2007
ग़र बुरा ना लगे
मै तुम्हे दिल में बसा लूं ,ग़र बुरा ना लगे ।
मैं तुम्हे अपना बना लूं ,ग़र बुरा ना लगे ।
तुम ही हो चाहत मेरी ,तुम ही हो मंजिल मेरी
तुम्हे dhadkano मे बसा लू ,ग़र बुरा ना लगे।
शबे-तन्हाई मे तेरा इंतज़ार करता हूँ
तेरी निंदो को चुरा लूं ,ग़र बुरा ना लगे।
तुम ही ख्वाहीस हो ,तुम ही ख़ुशी मेरी
तुम ही से तुम को चुरा लूं ,ग़र बुरा ना लगे ।
मैं तुम्हे अपना बना लूं ,ग़र बुरा ना लगे ।
तुम ही हो चाहत मेरी ,तुम ही हो मंजिल मेरी
तुम्हे dhadkano मे बसा लू ,ग़र बुरा ना लगे।
शबे-तन्हाई मे तेरा इंतज़ार करता हूँ
तेरी निंदो को चुरा लूं ,ग़र बुरा ना लगे।
तुम ही ख्वाहीस हो ,तुम ही ख़ुशी मेरी
तुम ही से तुम को चुरा लूं ,ग़र बुरा ना लगे ।
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