Monday, September 3, 2007

ग़र बुरा ना लगे

मै तुम्हे दिल में बसा लूं ,ग़र बुरा ना लगे
मैं तुम्हे अपना बना लूं ,ग़र बुरा ना लगे
तुम ही हो चाहत मेरी ,तुम ही हो मंजिल मेरी
तुम्हे dhadkano मे बसा लू ,ग़र बुरा ना लगे
शबे-तन्हाई मे तेरा इंतज़ार करता हूँ
तेरी निंदो को चुरा लूं ,ग़र बुरा ना लगे
तुम ही ख्वाहीस हो ,तुम ही ख़ुशी मेरी
तुम ही से तुम को चुरा लूं ,ग़र बुरा ना लगे

1 comment:

aawara pagal diwaana said...

good, bahoot achhe.aise hi likhte rahiye.