हर पल जियें भरम में पूजा रही अधूरी ।
कुछ श्लोक पड़ लिए हम गीता रही अधूरी । ।
अमृत की कामना है विषपान सी तपस्या ।
पथ में रहे भटकते यात्रा रही अधूरी । ।
खंडित हुई तपस्या प्रतिफल न मिल सका ।
पूजा कि हर विधा में आस्था बची अधूरी । ।
संवाद के छनो मे उपयुक्त सब्द भूले ।
अन्भिग्य रह गया हूँ भाषा रही अधूरी । ।
Thursday, September 6, 2007
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